EPF अंशदान में देरी पर नुकसान की भरपाई नियोक्ता को करनी होगी, SC ने दी व्यवस्था
सु्प्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा कि इस कानून के तहत नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह जरूरी तौर पर भविष्य निधि (पीएफ) की कटौती करे और उसे ईपीएफ ऑफिस में कर्मचारी के खाते में जमा कराए.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में अंशदान में देरी के लिए होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता को करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को यह व्यवस्था दी है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम किसी ऐसे प्रतिष्ठान में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है, जहां 20 या ज्यादा लोग काम करते हैं.
क्या है मामला
खबर के मुताबिक सु्प्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा कि इस कानून के तहत नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह जरूरी तौर पर भविष्य निधि (पीएफ) की कटौती करे और उसे ईपीएफ ऑफिस में कर्मचारी के खाते में जमा कराए. उच्चतम न्यायालय (SC) ने यह व्यवस्था कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर दी है.
धारा 14 बी के तहत क्षतिपूर्ति देनी होगी
कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने फैसला दिया था कि अगर नियोक्ता ईपीएफ में अंशदान (epf contribution) में देरी करता है, तो इसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी भी उसी की होगी. कोर्ट ने कहा कि हमारा विचार है कि ईपीएफ (EPF) अंशदान जमा करने में देरी के लिए नियोक्ता (Employer) को कानून की धारा 14 बी के तहत क्षतिपूर्ति देनी होगी.
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epfo करता है प्रबंधन
एक कर्मचारी के ईपीएफ अंशदान के तौर पर जमा पैसे का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) करता है. कर्मचारी जब तक नौकरी कर रहा होता है, उसकी सैलरी के मुताबिक तय नियमों के आधार पर पीएफ राशि जमा होती है. इस पर सरकार ब्याज दर तय करती है.
10:35 PM IST